आप जब चेहरा बदल कर आ गए सच तो ये है हम भी धोका खा गए आप अब आए हैं फ़स्ल-ए-गुल के बअ'द फूल जब उम्मीद के मुरझा गए अश्क क्या छलके हमारी आँख से लफ़्ज़ भी आवाज़ में बल खा गए हम तुम्हारे आइने में क़ैद थे तुम तो बस बेकार में घबरा गए तोड़ लाए शीशा-ए-दिल फिर कहीं तुम अँधेरे में कहाँ टकरा गए आप ने ग़म ही दिए बस ग़म हमें आप कब ख़ुशियाँ यहाँ बरसा गए