आप का दिल इस तरह क्यूँकर हुआ मोम था कल आज क्यों पत्थर हुआ सोचिए तो ये भी कोई बात है पूछते हैं हाल क्यों अबतर हुआ आँख से जो कर्ब का क़तरा गिरा एक बेवा के लिए गौहर हुआ परवरिश तो उस की की थी नाज़ से मिल गई दुल्हन तो वो बाहर हुआ आज महँगाई ने बे-बस कर दिया मेहमाँ आए कि दर्द-ए-सर हुआ मौत का उस दम मुझे आया यक़ीं जब अंधेरा क़ब्र के अंदर हुआ नेकियाँ मेरी उन्हों ने छीन लीं और मैं रुस्वा सर-ए-महशर हुआ अहल-ए-यूरोप कह रहे हैं फ़ख़्र से दिल मुनव्वर दीन में आकर हुआ लौट कर कहते हैं वो किस शान से जो भी होना था हुआ बेहतर हुआ रूह निकले सब्ज़ गुम्बद के क़रीब हिन्द में जीना भी मुश्किल-तर हुआ कुछ तो वुसअ'त हो गई हासिल 'हबीब' पाँव फैलाने को अपना घर हुआ