बेदाद है नई तो सितम भी नए नए खाते हैं ज़ख़्म सहते हैं ग़म भी नए नए बुत-गर नए नए हैं क़लम भी नए नए हैं बुत-शिकन नए तो सनम भी नए नए डर है कि खो न जाएँ ज़माने की भीड़ में तुम जो नए नए हो तो हम भी नए नए क्यों हो गई वतन की फ़ज़ा इस क़दर ख़राब नारे नए नए हैं अलम भी नए नए दामन पे उन के दाग़ हमारे लहू के हैं फ़ित्ने उठा रहे हैं क़दम भी नए नए जीना नहीं तो मौत से हम क्यों लड़ें 'हबीब' मिलते हैं अब तरीक़-ए-अदम भी नए नए