आप का इंतिज़ार भी तो नहीं दिल को लेकिन क़रार भी तो नहीं गरचे मजबूर भी नहीं हम लोग साहिब-ए-इख़्तियार भी तो नहीं दर्द कम तो हुआ है चारागर दर्द का ए'तिबार भी तो नहीं तेरी दीवार पर लगा देते ज़िंदगी इश्तिहार भी तो नहीं जाँ-निसारी हमारा शेवा है हर कोई जाँ-निसार भी तो नहीं बेवफ़ा लोग हैं तो फिर क्या है आप उन में शुमार भी तो नहीं