अजीब बात है बीमार है नहीं भी है ये दिल तुम्हारा तलबगार है नहीं भी है हैं मुम्किनात निहाँ इस अदा में शोख़ी में लबों पे उन के जो इंकार है नहीं भी है है कैसा अज़्म-ए-सफ़र कैसी चाहत-ए-मंज़िल सफ़र को कारवाँ तय्यार है नहीं भी है ये अपनी अपनी समझ है ये अपना अपना शुऊ'र सफ़र हयात का दुश्वार है नहीं भी है ये वक़्त वक़्त पे है मुनहसिर जो सच पूछें 'उबैद' आप का ख़ुद्दार है नहीं भी है