आप कहिए यहाँ और कोई सुहूलत है मुझे सीना-कूबी की तो दुनिया में इजाज़त है मुझे अश्क पत्थर हुए जाते हैं मिरी आँखों में ऐ मिरे दोस्त दिलासे की ज़रूरत है मुझे सोज़ लहजे में दर आया है तो आँखों में नमी अब मैं ए'लान करूँ क्या कि मोहब्बत है मुझे कुछ तो रक्खी है त'अल्लुक़ में कमी तू ने भी तेरे होते हुए औरों की ज़रूरत है मुझे अब अगर लौट के आऊँ तो बहुत चाहूँगा छुट्टियाँ हो गई हैं इन दिनों फ़ुर्सत है मुझे