वो घर छोड़ कर जा रहा है सुनो ख़ुदा के लिए कोई तो रोक लो खुले सर परेशान सड़कों पे वो किसे ढूँढता है ज़रा पूछ लो कहीं खो न जाए वो इस भीड़ में लपक कर ज़रा उस को आवाज़ दो ये शो'ले उगलती हुई दोपहर जला देगी उस के हर इक ख़्वाब को वो लम्हों की चलती हुई बर्छियाँ उसी सम्त बढ़ता है वो शख़्स तो