आप के इल्तिफ़ात का ग़म हो इतनी छोटी सी बात का ग़म हो आज उन आँखों की बात याद आई आज किस को हयात का ग़म हो इश्क़ से ये मज़ाक़ ठीक नहीं हम को और सानेहात का ग़म हो मैं फ़रामोश कर दूँ और तुम को तुम तो मेरी हयात का ग़म हो जिन पे मैं भी यक़ीन कर न सका किस को इन हादसात का ग़म हो दिल तो है सिर्फ़ अपनी ज़ात का ग़म तुम मगर काएनात का ग़म हो