आप के मकतब में आ के रो दिए मार उस डंडे की खा के रो दिए मुँह दिखा के रोने में आई जो शर्म तौलिए में मुँह छुपा के रो दिए रोएँ तन्हा ये नहीं भाता हमें चार छे को हम रुला के रो दिए बे-सबब रोने को जो चाहा कभी प्याज़ का भरता बना के रो दिए जिस घड़ी डैडी ने मारा चुप रहे सामने अम्मी के आ के रो दिए जैसे मुँह में रख लिया शो'ला कोई पान में चूना लगा के रो दिए पाँच को पढ़ने लगे अब काँच वो मास्टर ऐनक गँवा के रो दिए दी सज़ा चोरों को अल्लह पाक ने जूते मस्जिद में चुरा के रो दिए