आप के शहर में आने वाले या'नी ख़ुद जान से जाने वाले सोचता रहता हूँ कैसे होंगे हाल-ए-दिल दिल में छुपाने वाले भूल जाना तिरी आदत ही सही हम नहीं तुझ को भुलाने वाले हम चटानों की तरह क़ाएम हैं कुछ कहें हम को ज़माने वाले मेरी तक़दीर के भी मालिक हैं 'फ़ैज़' बिगड़ी को बनाने वाले