आप की हस्ती क्या हस्ती है By Ghazal << एक जल्वे की हवस वो दम-ए-र... आगे बढ़े न क़िस्सा-ए-इश्क... >> आप की हस्ती क्या हस्ती है सरमस्ती ही सरमस्ती है जब हम आपस में मिलते हैं दुनिया आवाज़ें कसती है महँगाई के युग में सोचो माँ की ममता क्यों सस्ती है बस्ती बसाना खेल है क्या बस्ते बस्ते ही बस्ती है यादों के दफ़्तर में 'आसी' गुज़रे लम्हों की नस्ती है Share on: