आप को मुझ से मोहब्बत कैसी और अगर है तो शिकायत कैसी हाए सड़कों पे ये नंगे बच्चे मुल्क ख़ुश-हाल तो ग़ुर्बत कैसी अपने ज़ाहिद से कोई पूछे तो ये रिया-कार इबादत कैसी छेड़ने का तो नहीं हूँ आदी मेरे किरदार पे हैरत कैसी बे-इरादा मिरे घर आइएगा मैं न पूछूँगा ये फ़ुर्सत कैसी अपने शैदाई पे ये ज़ुल्म-ओ-सितम जान-ए-जाँ आप की आदत कैसी मैं हूँ बे-नाम सा आवारा सा आप की मुझ पे इनायत कैसी कुफ़्र-ओ-इल्हाद से टकराते हो ऐ 'जमाल' आप की हिम्मत कैसी सब को ना-क़दरी-ए-फ़न का है गिला ऐ 'जमाल' आप की हुरमत कैसी