आप को उजला दिखे काला दिखे सच तो सच है चाहे वो जैसा दिखे ज़ुल्फ़-ए-जानाँ दीदा-ए-नम दर्द-ए-दिल इन से बाहर आएँ तो दुनिया दिखे आँख के अंधे को फिर भी अक़्ल है अक़्ल के अंधे को सब उल्टा दिखे मुझ को अपने-आप सा लगता है वो राह चलते जब कोई रोता दिखे हूँ पशेमाँ मैं गुनहगार अपना मुँह फेर लेता हूँ जो आईना दिखे ख़ूब है दुनिया की ये जादूगरी वो नहीं होता है जो होता दिखे