बे-नियाज़ाना हर इक राह से गुज़रा भी करो शौक़-ए-नज़्ज़ारा जो ठहराए तो ठहरा भी करो इतने शाइस्ता-ए-आदाब-ए-मोहब्बत न बनो शिकवा आता है अगर दिल में तो शिकवा भी करो सीना-ए-इश्क़ तमन्नाओं का मदफ़न तो नहीं शौक़-ए-दीदार अगर है तक़ाज़ा भी करो वो नज़र आज भी कम-मअ'नी ओ बेगाना नहीं उस को समझा भी करो उस पे भरोसा भी करो