आप से किस ने कहा है कि मोहब्बत करिए आप ताजिर हैं मिरे ग़म की तिजारत करिए बे-वुज़ू इश्क़ की तकमील है तौहीन-ए-सनम कर रहे हैं तो सलीक़े से इबादत करिए इश्क़ में कुफ़्र कहा जाता है शिकवे का अमल इस लिए सोच समझ कर ही शिकायत करिए सर की ख़्वाहिश है तो हम अहल-ए-जुनूँ दे देंगे आप तलवार उठाने की न ज़हमत करिए अब कहाँ मिलता है दीवाना कोई सहरा में गर मुक़द्दर से वो मिल जाए तो इज़्ज़त करिए कान में सीसा-ए-ग़म घोल के फ़रमाते हैं क़िस्सा-ए-इश्क़ मेरी जान समाअ'त करिए दीदा-ए-नम पे बिछा कर ही मुसल्ला दिल का अश्क बन कर मिरे जज़्बों की इमामत करिए