आप से क्या दोस्ती होने लगी अपने दिल से दुश्मनी होने लगी फिर हसीनों की तरफ़ माइल है दिल मौत से फिर दिल-लगी होने लगी मुस्कुराई मेरी तौबा पर बहार पारसाई की हँसी होने लगी तुम न थे तो दिल को इक तस्कीन थी तुम जो आए बे-कली होने लगी हर ख़ुशी में ग़म का इक पहलू मिला हर नए ग़म से ख़ुशी होने लगी सुन के 'साहिर' की ग़ज़ल उस ने कहा शाइ'री जादूगरी होने लगी