आप से शिकवा ये करना है अगर राज़ रहे अहद में हुस्न के हम कुश्ता-ए-अंदाज़ रहे शर्त पर्दा है तो ये आज से अंदाज़ रहे मेरी आवाज़ में पिन्हाँ तिरी आवाज़ रहे बन गया दर्द मुक़द्दर से मिरे ये वर्ना नाज़ तो रूह-ए-मोहब्बत है अगर नाज़ रहे मैं जो असरार-ए-मोहब्बत कहीं ज़ाहिर कर दूँ हो के हर साज़ से पैदा तिरी आवाज़ रहे आप के ग़म को छुपा लूँ ये बजा फ़रमाया और अगर रंग-ए-रुख़ आमादा-ए-पर्वाज़ रहे साँस में नज़्अ' की हिचकी को बदलता हूँ मैं सई-ए-आख़िर है अगर राज़-ए-वफ़ा राज़ रहे