आप शीशे का गर मकाँ रखिए कुछ तो मज़बूत साएबाँ रखिए तिनका तिनका बिखर न जाए कहीं आँधियों में न आशियाँ रखिए लम्हा लम्हा अज़ाब-ए-जाँ होगा दर्द दिल में न यूँ निहाँ रखिए सिर्फ़ अपना ही ग़म नहीं सब कुछ कुछ ख़याल-ए-ग़म-ए-जहाँ रखिए हक़ अदा कीजिए सदाक़त का आप मुँह में अगर ज़बाँ रखिए लोग बरसों करेंगे याद 'मजीद' लफ़्ज़ में दर्द-ए-बे-कराँ रखिए