आप तक आ गए हम आने को कैसे समझाएँगे ज़माने को छोड़ो अब मुझ को आज़माने को भूल जाओ मिरे फ़साने को है अदा उन की रूठ जाने की हम सदा आएँगे मनाने को रोके रुकते नहीं कभी आँसू लब तरसते हैं मुस्कुराने को घर में छाई हुई है वीरानी दिल नहीं चाहता सजाने को वा'दा करके न आए वो लेकिन हम ने सच समझा है बहाने को बात कीजे सदा मोहब्बत से अच्छा समझो न दिल दुखाने को हो करम की नज़र भी ऐ 'साहिर' क्या फ़क़त हम हैं आज़माने को