आप वो सब की जान लेते हैं मौत को मुफ़्त सान लेने हैं दिल भला आशिक़ों के पास कहाँ आप ही छीन-छान लेते हैं क्या कहूँ कौन जान लेता है वो मिरे मेहरबान लेते हैं मय-कदे के क़रीब हम वाइज़ तेरी ज़िद से मकान लेते हैं अब तो ये हाल है 'नसीम' उन का जो मैं कहना हूँ मान लेते हैं