आस के शरारों को जब कोई हवा देगा ज़र्द ज़र्द चेहरे पर सुर्ख़ियाँ सजा देगा हिज्र का हर इक लम्हा ज़िंदगी के बातिन में वस्ल के तसव्वुर का लुत्फ़ ही बढ़ा देगा धुंद धुंद पस-मंज़र रात की सियाही में नींद जब भी आएगी ख़्वाब की सज़ा देगा चाँद आ के बैठेगा दिल के नर्म गोशे में हसरतें बढ़ा देगा दर्द सा जगा देगा छाँव में अगर ठहरा दिल का क़ाफ़िला 'आदिल' तिश्नगी सदा देगी ज़ख़्म मुस्कुरा देगा