आशिक़-ए-गेसू-ए-दुता हूँ मैं आप अपने लिए बला हूँ मैं क्या शिकायत अगर न जाने यार ख़ुद नहीं जानता कि क्या हूँ मैं मिस्ल-ए-गुल हँस के मैं कभी न खिला ग़ुंचा साँ ज़ीस्त से ख़फ़ा हूँ मैं मैं तो ऐ जान हूँ बुरे से बुरा मेरा ये मुँह कहूँ भला हूँ मैं दिल है आईना-ए-दो-रू अपना दोस्त दुश्मन से एक सा हूँ मैं तेरा आशिक़ हूँ ऐ बुत-ए-रा'ना ग़ैर हूँ मैं कि आश्ना हूँ मैं मुझ को तस्लीम है जफ़ा-ए-यार हर तरह ताबा'-ए-रज़ा हूँ मैं मौज-ए-निकहत मिरा जनाज़ा है कुश्ता-ए-ख़ंजर-ए-अदा हूँ मैं फिर चुभा दिल में ख़ार ग़म है 'वक़ार' फिर किसी गुल का मुब्तला हूँ मैं