आशिक़ी में है जान का खटका और भी कुछ बुरा भला खटका यार सय्याद बाग़बाँ का हुआ ये नया और इक बँधा खटका कान आहट की राह से न हटे दिल में था किस के आने का खटका वही काविश मिज़ा ने की आख़िर जिस का अव्वल से दिल में था खटका बुलबुल-ए-पाक-बीं है आशिक़-ए-गुल बाग़बाँ तू न खटखटा खटका बे तिरे यार सैर-ए-गुलशन में फूल आँखों में ख़ार सा खटका तुझ को देखा उठा उठा कर सर साँस का भी अगर हुआ खटका इश्क़ के हैं 'वक़ार' चार उंसुर ख़ौफ़ अंदेशा-ओ-दग़ा खटका