आशियाने की ख़ैर हो मौला हर ठिकाने की ख़ैर हो मौला काली आँधी की फिर से आमद है शामियाने की ख़ैर हो मौला बस्ती वालों के हाथ पत्थर हैं इक दिवाने की ख़ैर हो मौला ख़ूँ पसीना लगा है फ़स्लों पर दाने दाने की ख़ैर हो मौला इस ज़माने का अल्लह हाफ़िज़ है इस ज़माने की ख़ैर हो मौला आज-कल वो लगा है कोशिश में दूर जाने की ख़ैर हो मौला चक्की चलती रहे मोहब्बत की कार-ख़ाने की ख़ैर हो मौला