आसमाँ पर हैं सितारे दर्द की आग़ोश में और ज़मीं पर ग़म हमारे दर्द की आग़ोश में साथ सूरज के समुंदर में सफ़ीने की तरह डूबते हैं सब नज़ारे दर्द की आग़ोश में रक़्स करते प्यार के शो'लों पे हावी है थकन चीख़ उट्ठे हैं शरारे दर्द की आग़ोश में सर पटकती करवटें लेती मचलती बार-बार मौज है दरिया किनारे दर्द की आग़ोश में मेरी आँखों में हैं आँसू इस तरह ठहरे हुए डल में हों जैसे शिकारे दर्द की आग़ोश में अश्क की सूरत हैं महफ़ूज़ आँख में यादें तिरी तैरते मंज़र हैं सारे दर्द की आग़ोश में ऐ मिरे प्यारे मुहाफ़िज़ तू इजाज़त दे तो उम्र काट दूँ तेरे सहारे दर्द की आग़ोश में यूँ उतरता है मिरे एहसास में लहजे का कर्ब लफ़्ज़ हों जैसे तुम्हारे दर्द की आग़ोश में छाई है चेहरे पे 'सीमा' इस तरह पज़मुर्दगी जैसे हों सारे के सारे दर्द की आग़ोश में