आसमाँ सा मुझे घर दे देना ख़ाक हो जाऊँ तो पर्दे देना सामना आज अना से होगा बात रखनी है तो सर दे देना जाने कब से है धुँदलकों का शिकार नुक़्ते को शम्स ओ क़मर दे देना तालिब-ए-वक़्त नहीं हूँ लेकिन मौत तक चार-पहर दे देना जो पता पूछें मिरा तुम उन को मुट्ठी भर गर्द-ए-सफ़र दे देना कल का दिन बे-ख़बरी का होगा सारे पर्चों में ख़बर दे देना दे दिया है जो क़लम हाथों में अब सुख़न में भी असर दे देना फिर 'रज़ा' जल्वा-नुमा होता है मन के अँधों को नज़र दे देना