आस्तान-हरम पे ला डाला काम कर ही गई बुतों से यास हम ने पाया है परियों को हैरान हम ने देखा है गुलशनों को उदास अपने माहौल पर असर-अंदाज़ क्यों न मर्द-ए-निको की हो बू-बास दौर-ए-नौ राहबर नए ढूँढे ख़िज़्र है काम का न आज इल्यास चार-दीवारी एक ने'मत-ए-जाँ अपना घर अपने वास्ते रोहतास ताज़ा पानी ग़रीब को है शराब जाम-ए-जम से नहीं कम उस को तास इस इमारत ने उम्र पाई तवील रास्त बुनियाद थी जो सिद्क़-एहसास खा गई मुझ को तेरी भूकी निगाह ज़ाल-ए-दुनिया तिरा हो सत्या-नास