आस्ताने लहू में तर देखे इब्न-ए-मरियम सलीब पर देखे ये करिश्मा है दैर-ओ-का'बा का जलते आतिश बग़ैर घर देखे देखी तक़्दीस नाचते उर्यां हँसते उस पर हरम के दर देखे शम्अ' रोई न हश्र-ए-महफ़िल पर लुटते जज़्बात ता-सहर देखे फूल मसले गए अक़ीदत के जल्वे महमिल के दर-ब-दर देखे चश्म-ए-इबरत में पड़ गए काँटे देखने वाले बे-बसर देखे पाँव उठते नहीं मुसाफ़िर के साँप की तरह रहगुज़र देखे हम को निस्बत न हो सिकंदर से हम भटकते रहें ख़िज़र देखे 'बख़्त' डूबा कुछ इस तरह साहिल चश्म-ए-बर्बाद से भँवर देखे