आँसू अपनी चश्म-ए-तर से निकलें तो ताज़ा-दम हो जाएँ घर से निकलें तो बीमारों को थोड़ा सा आराम मिले बाहर दस्त-ए-चारा-गर से निकलें तो सच्चाई से पर्दा भी हट सकता है अख़बारों में छपी ख़बर से निकलें तो ना-मुम्किन है वापस लौटें ख़ाली हाथ चाँद पकड़ने लेकिन घर से निकलें तो मंज़र में किरदार हमारा भी आ जाए शर्त है पहले पस-मंज़र से निकलें तो