वो बे-हुनर हूँ कि है ज़िंदगी वबाल मुझे कमाल गर नहीं देता तो दे ज़वाल मुझे वो बद-गुमान हुआ हूँ कि ए'तिबार उठा सदाक़तों पे भी क्या क्या हैं एहतिमाल मुझे मैं अपने आप को पहचानने से डरता हूँ तबाह कर गई ये गर्द-ए-माह-ओ-साल मुझे ग़ज़ब हुआ तिरी यादों ने साथ छोड़ दिया हनूज़ मेरी मोहब्बत है इक सवाल मुझे ये क्या हुआ कि हवस की गिरफ़्त तंग हुई मैं तुझ से हाथ छुड़ाने को हूँ सँभाल मुझे वो फ़ासले हैं कि आँखों में ख़्वाब नाचते हैं मिली फ़िराक़ में भी लज़्ज़त-ए-विसाल मुझे वो बेवफ़ा है तो इस का भी ग़म बहुत है मगर मैं बा-वफ़ा हूँ तो इस का भी है मलाल मुझे