आँसू की तरह पोंछ के फेंका गया हूँ मैं तारा हूँ और ज़मीं पे गिराया गया हूँ मैं क़ुर्बान-गाह-ए-ग़म पे चढ़ाने के वास्ते बचपन में कितने प्यार से पाला गया हूँ मैं ताबिश-गुरेज़ियों को मजाल-ए-नज़र कहाँ चश्मा लगा के धूप का देखा गया हूँ मैं गो मा-वारा-ए-वक़्त भी है मुझ में एक चीज़ मीज़ान-ए-सुब्ह-ओ-शाम में तौला गया हूँ मैं दम ले के लौट जाऊँगा ओ मेज़बाँ ज़मीं क़ासिद बना के दूर से भेजा गया हूँ मैं ऐ साकिनान-ए-शहर-ए-ख़मोशान-ए-ज़िंदगी पैग़ाम-ए-हश्र दे के उतारा गया हूँ मैं मंज़िल की क़द्र होती है आवारगी के बाद जन्नत से इस लिए भी निकाला गया हूँ मैं 'कौसर' लिबास-ए-क़हर में उतरी हैं रहमतें ठोकर लगा के राह पे लाया गया हूँ मैं