आसूदगियाँ बिखर रही हैं यारब By Ghazal << अहद-ए-जुनूँ में अर्सा-ए-व... अब दिल को तुम से कोई भी श... >> आसूदगियाँ बिखर रही हैं यारब आज़ुर्दगियाँ उभर रही हैं यारब हर साँस है एहसास के सीने में गिरह क्या ज़िंदगियाँ गुज़र रही हैं यारब Share on: