आता है तेग़ हाथ में वो जंग-जू लिए जाता हूँ मैं भी सर के तईं रू-ब-रू लिए गुलज़ार यक-ब-यक जो महकने लगा है यूँ सच कह सबा तू फिरती है याँ किस की बू लिए सोए कभी न साथ हमारे ख़ुशी से तुम जावेंगे गोर में यही हम आरज़ू लिए देता नहीं है चैन इलाही मैं क्या करूँ फिरता हूँ रात-दिन दिल-ए-बेताब कू लिए 'आसिफ़' न छोड़ दस्त-ए-सख़ावत को ज़ीनहार लाया है कुछ न साथ न जावेगा तू लिए