आते आते जो तिरा नाम सा रह जाता है मेरे सीने में वो कोहराम सा रह जाता है ऐ ज़माने की हवा अब तो रिहा कर मुझ को इश्क़ के बाद भी कुछ काम सा रह जाता है दिल की ता'मीर में मुमकिन नहीं हर शय की शनाख़्त कुछ न कुछ तो कहीं बे-नाम सा रह जाता है तुझ से मिलने की तमन्ना में बिछड़ने का ख़याल एक जज़्बा है जो नाकाम सा रह जाता है कौन कहता है मोहब्बत का सफ़र है आसान कुछ न कुछ तो यहाँ इल्ज़ाम सा रह जाता है