आतिश-ए-इश्क़ में जलता है तो जल जाने दे दिल-ए-बे-ताब के अरमाँ तो निकल जाने दे नहीं मर्ज़ी न अता कर मिरे दिल को तस्कीं शिद्दत-ए-ग़म में कुछ आँसू तो निकल जाने दे उन का हो जाऊँगा मैं वो मिरे हो जाएँगे लम्हा-ए-गर्दिश-ए-अय्याम तो टल जाने दे तेरी महफ़िल में जहाँ शमएँ हैं और जल्वे भी इक चराग़-ए-निगह-ए-शौक़ भी जल जाने दे तेरी महफ़िल में भी आएगा 'मुसव्विर' इक दिन दश्त-ए-वहशत में ज़रा दिल तो बहल जाने दे