आतिश-ए-इश्क़ में जलता रहा बुझता रहा दिल रंज-ए-बेताब से दरिया कभी सहरा रहा दिल इक सफ़र हाँ वो सफ़र पाँव की ज़ंजीर बना बा'द ऐ यार तिरी याद में जलता रहा दिल महफ़िल-आराई की ख़्वाहिश थी सो दिल उस के सबब महफ़िल-आरा रहा वीराँ रहा तन्हा रहा दिल मौजा-ए-ख़ूँ किसी सीने में रुका था कल रात दर्द उठता रहा चुभता रहा दुखता रहा दिल