आया हूँ दूर से मैं तो कर के सफ़र यहाँ रहता है अस्ल में मिरे दिल का नगर यहाँ शिरकत है मेरी आज भी उन की ही बज़्म में आया है शायरी का मुझे अब हुनर यहाँ कर दी है ज़िंदगी तो तिरे नाम जान-ए-जाँ दुनिया ये संग तेरे ही होगी बसर यहाँ कैसा हूँ मैं इधर मिरी सेहत भी है नहीं मसरूफ़ हैं सभी ही किसी को ख़बर यहाँ मायूस मत हो जग से ख़ुशी भी है ग़म भी है आँगन में एक दिन तिरे होगी सहर यहाँ