अब इस मकाँ में नया कोई दर नहीं करना ये काम सहल बहुत है मगर नहीं करना ज़रा ही देर में क्या जाने क्या हो रात का रंग सो अब क़याम सर-ए-रहगुज़र नहीं करना बयाँ तो कर दूँ हक़ीक़त उस एक रात की सब प शर्त ये है किसी को ख़बर नहीं करना रफ़ूगरी को ये मौसम है साज़गार बहुत हमें जुनूँ को अभी जामा-दर नहीं करना ख़बर है गर्म किसी क़ाफ़िले के लुटने की ये वाक़िआ है तो सैर ओ सफ़र नहीं करना