अब के जो यहाँ से जाएँगे हम फिर तुझ को न मुँह दिखाएँगे हम मुश्किल है न आना तुझ गली में पर ये भी सही न आएँगे हम जो आगे कहा किए हैं तुझ से सो अब के वो कर दिखाएँगे हम ऐसा ही जो दिल न रह सकेगा टुक दूर से देख जाएँगे हम हाँ क्यूँ न मिलेंगे तुझ से ज़ालिम जब गालियें नित की खाएँगे हम आज़ुर्दा हो ग़ैर से लड़ो याँ इस ओहदे से कब बर आएँगे हम जीने ही से हाथ उठाएँगे लेक बातें न तिरी उठाएँगे हम गर ज़ीस्त है तुझ तलक तो फिर क्या सदक़े तिरे मर ही जाएँगे हम अब कूचे में तेरे ही प्यारे किसी और से जी लगाएँगे हम जूँ चाहिए चाह का सरिश्ता जीते हैं तो कर दिखाएँगे हम इस पर भी अगर मिलेंगे ख़ैर 'क़ाएम' ही न फिर कहाएँगे हम