अब किसी से गिला नहीं कोई अपना तेरे सिवा नहीं कोई हो गया जिस को क़त्ल होना था क़ातिलों से सिला नहीं कोई जाने कितने हसीन मिलते हैं तेरे जैसी अदा नहीं कोई कोई मिल के भी मिल नहीं पाया और हम से जुदा नहीं कोई ख़ुशियाँ यूँ तो हज़ार मिलती हैं और ग़म से रिहा नहीं कोई