अब कोई भी तो आसरा न रहा मैं हूँ जिस का वही मिरा न रहा मुझ को लगता रहा वो साथ में है साथ में चाहे वो रहा न रहा आप को जब से मैं ने देखा है अपने ही दिल पे बस मिरा न रहा वो मिले इस क़दर तपाक के साथ मुद्दतों जिन से सिलसिला न रहा हुस्न पर नाज़ करने वाले सुन उम्र भर कोई एक सा न रहा तब मुझे पूछने को वो आए दर्द जब क़ाबिल-ए-दवा न रहा याद करता है अब भी उस को 'सलीम' जिस से कोई भी वास्ता न रहा