आप की जब से मेहरबानी है दिल के हर ज़ख़्म पर जवानी है आप से दूर रह के ज़िंदा हैं ये भी क्या कोई ज़िंदगानी है बाद मुद्दत के उस को देखा है जो मोहब्बत का मेरी बानी है पूछते क्या हो मेरे दिल का हाल इस की तो लम्बी इक कहानी है साथ जीना है साथ मरना है ये क़सम आप को भी खानी है जिस की ख़ातिर ये हो गई है ग़ज़ल वो ख़यालों की मेरे रानी है ख़ौफ़ में उस के हम नहीं रहते मौत तो एक रोज़ आनी है कितना बे-दर्द हो गया वो 'सलीम' दूर रहने की जिस ने ठानी है