अब मंज़िल-ए-सदा से सफ़र कर रहे हैं हम या'नी दिल-ए-सुकूत में घर कर रहे हैं हम खोया है कुछ ज़रूर जो उस की तलाश में हर चीज़ को इधर से उधर कर रहे हैं हम गोया ज़मीन कम थी तग-ओ-ताज़ के लिए पैमाइश-ए-नुजूम-ओ-क़मर कर रहे हैं हम काफ़ी न था जमाल-ए-रुख़-ए-सादा-ए-बहार ज़ेबाइश-ए-गियाह-ओ-शजर कर रहे हैं हम