अब मिरी याद को दामन की हवाएँ देना मैं गया वक़्त हूँ मुझ को न सदाएँ देना सख़्त बे-जल्वा-ओ-बे-नूर हैं लम्हात-ए-फ़िराक़ दिल बहल जाएगा चेहरे की ज़ियाएँ देना हिज्र की प्यास से जलते हैं बगूलों के दहन ख़ुश्क सहराओं को ज़ुल्फ़ों की घटाएँ देना याद आते हैं जवानी के जुनूँ-ख़ेज़ अय्याम मुज़्तरिब हो के बयाबाँ को सदाएँ देना फिर क़दम कू-ए-मलामत की तरफ़ उठ्ठे हैं मिरे मौला मिरे हिस्से की ख़ताएँ देना जामा-ज़ेबी पे तिरी वर्ना लगेगा इल्ज़ाम इश्क़ के पैकर-ए-उर्यां को रवाएँ देना उस का मुझ पर बड़ा एहसान-ए-मसीहाई है मेरे यारो मिरे क़ातिल को दुआएँ देना