अब समझा है अब जाना है बेगाना फिर बेगाना है ये मजबूरी पर मजबूरी ख़ामोशी भी अफ़्साना है ये फूलों की रुत ये आँसू फ़ितरत ही कुछ ग़म खाना है कितनी ही आसें टूटी हैं इतना ही अब तक जाना है तस्कीन-ए-दिल कहिए जिस को अफ़्साना ही अफ़्साना है तेरे कारन तेरे बाइ'स तेरे ग़म को ग़म जाना है उन का अफ़्साना है मैं हूँ मैं हूँ उन का अफ़्साना है कैसी सुब्हें कैसी शामें रोना है या रुलवाना है दुनिया हँसने वाली दुनिया रोने वाला दीवाना है