देखना है यूँ भी कुछ तस्कीन पा सकता हूँ मैं ज़ब्त-ए-हसरत एक दो आँसू बहा सकता हूँ मैं कोशिशें नाकाम उम्मीदों की दुनिया पाएमाल ज़िंदगी को ज़िंदगी किस तरह पा सकता हूँ मैं फ़स्ल-ए-गुल महकी हुई रातें वफ़ूर-ए-बे-खु़दी इस फ़साने को हक़ीक़त भी बना सकता हूँ मैं सोचना था अपनी बर्बादी से पहले ही मुझे आदमी होते हुए ठोकर भी खा सकता हूँ मैं फ़र्क़-ए-नौइयत है लेकिन इश्क़ भी मुख़्तार है मुस्कुरा सकते हैं वो आँसू बहा सकता हूँ मैं अब भी दुनिया में वफ़ा का नाम बाक़ी है 'सहर' भूलने वाले को अब भी याद आ सकता हूँ मैं