अब सरगुज़िश्त-ए-हिज्र सुनाने भी आएगा जो रूठ कर गया है मनाने भी आएगा बन जाएँगी क़रार यही बे-क़रारियाँ ग़म दे गया है जो वो मिटाने भी आएगा रक्खेगा रखने वाला मिरी बे-कसी की लाज लुत्फ़-ओ-करम की शान दिखाने भी आएगा सुनता नहीं जो अब मिरा अहवाल वाक़ई इक रोज़ ले कर अपने फ़साने भी आएगा आतश-बजाँ हैं ख़बर से बे-फ़िक्र-ओ--मुतमइन जिस ने लगाई है वो बुझाने भी आएगा उस को ख़ुलूस-ए-दिल की कशिश खींच लाएगी आएगा तो वो आने बहाने भी आएगा रू-पोश हो सकेंगी कहाँ ख़ुद-नुमाईयाँ आईना-रू जमाल दिखाने भी आएगा निखरेगी ये फ़ज़ा-ए-मुकद्दर भी ऐ 'रिशी' माहौल का मिज़ाज ठिकाने भी आएगा