अब तसव्वुर में हरम है न सनम-ख़ाना है मैं जहाँ पर हूँ वहीं यार का काशाना है जुस्तुजू-ए-हरम-ओ-दैर से बेगाना है मेरा दिल आप की तस्वीर का दीवाना है अब न काबे में झुकेगा न सनम-ख़ाने में मेरा सर सर नहीं संग-ए-दर-ए-जानाना है सब तिरी मस्त-निगाही का करम है साक़ी रिंद जो भी यहाँ होश से बेगाना है