आ गया वक़्त अगर प्यार में रुस्वाई का लोग देखेंगे तमाशा तिरे सौदाई का रूह से जिस्म अलग करने के पस-मंज़र में है कोई हाथ यक़ीनन किसी हरजाई का जाँ ग़म-वस्ल की इक शाम मनाएँ आ जा शोर सुनती हूँ सिसकती हुई शहनाई का मैं तिरे प्यार को दुनिया से छुपाऊँ कैसे रंग आँखों से बरसता है शनासाई का ख़ैर हो आज मिरे दिल के बयाबानों की 'मानी' करना नहीं मातम शब-ए-तन्हाई का