अब तो आते होंगे कब के भेजे हैं मैं ने तुम को लेने रस्ते भेजे हैं अपनी तरफ़ से तेरा वक़्त बचाया है तेरी तरफ़ से ख़ुद को दिलासे भेजे हैं उस की लुग़त में तन्हाई का लफ़्ज़ भी है जिस ने हर इक शय के जोड़े भेजे हैं क़ासिद की जाँ-बख़्शी पर मम्नून हूँ मैं ख़त में उस ने ख़त के पुर्ज़े भेजे हैं कैसे कम हो सकते हैं जो ग़म तू ने माप और तौल के अंदाज़े से भेजे हैं सरहद पार किसी पर जब भी प्यार आया हम-सायों को यूँही तोहफ़े भेजे हैं तारीकी हम खींच के लाए हैं घर तक डूबते सूरज को बस तिनके भेजे हैं अम्न की ख़ातिर इतना ही कर सकता था मैं ने जंग में अपने बेटे भेजे हैं